Friday, 12 August 2016

ये है पर्यावरण हमारा इसकी रक्षा सबका धर्म

ये है पर्यावरण हमाराइसकी रक्षा सबका धर्म
 डॉ. अरुण मित्तल 'अद्भुत'
ये है पर्यावरण हमारा, इसकी रक्षा सबका धर्म
इसमें प्राण बसे हैं सबके, करले मानव यह शुभ कर्म

खेतों से हरियाली खो गई, उजडे जगल सारे
देख धरा की ऐसी हालत, रोते चांद सितारे
मारे वन्य जानवर सारे, कुछ तो कर मानव तू शर्म
ये है पर्यावरण हमारा, इसकी रक्षा सबका धर्म

प्राण बसे हैं मानव तेरे, शुद्ध हवा में जल में
जीने की सुध सीखी, तूने कुदरत के आंचल में
पल में वरना बनते खाक, ये तेरे हाड मांस और चर्म
ये है पर्यावरण हमारा, इसकी रक्षा सबका धर्म

अगर प्रदूषण यूं फैलेगा, हम सब होंगे रोगी
त्यागो अपनी नादानी को, बनो न इतने भोग
योगी होकर पुण्य कमाओ, समझो ये कुदरत का मर्म
ये है पर्यावरण हमारा, इसकी रक्षा सबका धर्म



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