Wednesday 17 August 2016

हास्य कविताएँ

कैसे कैसे उत्पाद
एक जगह बहुत भीड़ लगी थी
एक आदमी चिल्ला रहा था
कुछ बेचा जा रहा था
आवाज कुछ इस तरह आई
शरीर में स्फुर्ति न होने से परेशान हो भाई
थकान से टूटता है बदन
काम करने में नहीं लगता है मन
खुद से ही झुंझलाए हो
या किसी से लड़कर आए हो
तो हमारे पास है ये दवा
सभी परेशानियां कर देती है हवा
मैंने भीड़ को हटाया
सही जगह पर आया
मैंने कहा इतनी कीमती चीज
कहीं मंहगी तो नहीं है
वो बोला आपने भी ये क्या बात कही है
इतने सारे गुण सिर्फ दो रुपए में लीजिए
भाई साब दिलदार बीड़ी पीजिए

फुटकर हास्य कविताएँ -

1
पिताजी ने बेटे को बुलाया पास में बिठाया,
बोले आज राज की मैं बात ये बताऊंगा।
शादी तो है बरबादी मत करवाना बेटे,
तुमको किसी तरह मैं शादी से बचाऊंगा।
बेटा मुस्कुराया बोला ठीक फरमाया डैड,
मौका मिल गया तो मैं भी फर्ज ये निभाऊंगा।
शादी मत करवाना तुम कभी जिन्दगी में,
मैं भी अपने बच्चों को यही समझाऊंगा।
2
एक नए अखबार वाले सर्वे कर रहे थे
मैंने कहा मैं भी खूब अखबार लेता हूं
जागरण, भास्कर, केसरी ओ हरिभूमि
हिन्दी हो या अंगरेजी सबका सच्चा क्रेता हूं
पत्रकार बोला इतनों को कैसे पढ़ते हैं
मैंने कहा ये भी बात साफ कर देता हूं
पढ़ने का तो कोइ भी प्रश्न ही नहीं है साब
मैं कबाड़ी हूं पुराने तोलकर लेता हूं
3
एक हास्य कवि जी के पास एक नेता आया
बोला हॅंसाने की कला हमें भी सिखाइए
कवि ने कहा कि योगासन है अलग मेरा
सुबह सुबह चार घंटे आप भी लगाइए
बुद्धि तीव्र हो जाएगी नाचने लगेगा मन
सीख लीजिए ना व्यर्थ समय गवांइए
नेताजी ने कहा कविराज बतलाओ योग
कवि बोला यहां आके मुर्गा बन जाइए
4
जीवन का किसी क्षण कोई भी भरोसा नहीं
जोखिम ना आप यूं अकेले ही उठाइए
सबसे सही है राह फैलाए खड़ी है बांह
बीमा कम्पनी को इस जाल में फंसाइए
पति पत्नी से बोला फायदे का सौदा है ये
प्रिय आप भी जीवन बीमा करवाइए
पत्नी बोली करवा रखा है आपने जनाब
उससे कोई फायदा हुआ हो ता बताइए

डर नहीं लगता

उस रात मैं बहुत डर रहा था
क्योंकि मैं एक कब्रिस्तान के पास से गुजर रहा था
एक तो मौसम बदहाल था
और दूसरा गर्मी से मेरा बुरा हाल था
अचानक मेरी आंखें फटी की फटी रह गईं
जब मेरी नजरें कब्र पर बैठे एक आदमी पर चढं गईं
मैंने कहा इतनी रात को यहां से कोई
भूलकर भी नहीं फटकता
यार तू कब्र पर बैठा है
तुझे डर नहीं लगता
मेरी बात सुनते ही वो ऐंठ गया
बोला इसमें डरने की क्या बात है
कब्र में गरमी लग रही थी,
इसलिए बाहर आके बैठ गया


टुकड़े टुकड़े हास्य

1
कमबख्त
गम जुदाई सब साथ कर गया
अच्छे अच्छों को माफ कर गया
मैंने सोचा दिल पर रख रहा है हाथ
कमबख्त जेब साफ कर गया
2
विशेष छूट
हेयर ड्रेसर ने, विशेष छूट के शब्द, इस तरह बताए
बाल काले करवाने पर, मुंह फ्री काला करवाएं

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