नववर्ष की पहली
किरण
अरुण मित्तल ‘अद्भुत’
ख़ुशियों भरा
संसार दे, नववर्ष की पहली किरण
आनंद का उपहार दे,
नववर्ष की पहली किरण
दुनिया की अंधी
दौड़ में, कुछ दिल्लगी के पल मिले
सबको ही अनुपम
प्यार दें, नववर्ष की पहली किरण
जर्जर हुए बदले
अधर, नववर्ष की पहली किरण
नव चेतना,
दे नया स्वर, नववर्ष की पहली किरण
अब आ चढ़ें नव
कर्मरथ पर हर चिरंतन साधना
इस बुद्धि को कर
दे प्रखर, नववर्ष की पहली किरण
सबको अटल विश्वास
दे, नववर्ष की पहली किरण
नवदेह में
नवश्वास दे, नववर्ष की पहली
किरण
इस अवनि तल पर
उतरकर, अब कर दे रौशन ये फिज़ा
उल्लास ही उल्लास
दे, नववर्ष की पहली किरण
अब आ रही है
मनोरम, नववर्ष की पहली किरण
यह चीरती अज्ञान
तम, नववर्ष की पहली किरण
मैं छंद तुझ पर
क्या लिखूँ ‘अद्भुत’ कहूँ इतना ही बस
सुस्वागतम
सुस्वागतम, नववर्ष की पहली किरण
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