Wednesday, 12 November 2008

फितरत का डर

कुछ उसकी हिम्मत का डर
कुछ जग की सीरत का डर

कभी कभी नफ़रत का डर
और कभी उल्फत का डर

मुफलिस को बाज़ारों में
हर शय की कीमत का डर

सबसे ज्यादा होता है
इंसा को इज्ज़त का डर

नीड़ बनाने वालों को
दुनिया की आदत का डर

अद्भुत को सबसे ज्यादा
ख़ुद अपनी फितरत का डर

1 comment:

मोहन वशिष्‍ठ said...

मुफलिस को बाज़ारों में
हर शय की कीमत का डर

सबसे ज्यादा होता है
इंसा को इज्ज़त का डर

बहुत खूब अच्‍छी रचना लिखी है आपने लिखते रहो