Wednesday, 28 May 2008

माँ वाणी को नमन ...........

कर वीणा से सजे हैं शोभित हैं शुभ्र पट
अतिशय अकराल हिम सम हार से
गीत छंद नवरस सरस हों आभरण
पद्य मोद से भरे हों कुमुद बाहर से
कविता मे नव गति नव हो प्रकाश अब
मुक्त करो शारदे माँ जग अंधकार से
वेद विद्याओं की देवी कोटी कोटी नमन है
अदभुत ज्ञान दो माँ असह दुलार से

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